लेखनी कविता -29-Mar-2023

# प्रतियोगिता
29/3/23

विषय :-स्वैच्छिक

शीर्षक :- नये रास्ते चलें।

भूल कर भी ना कभी,
 किसी को हम छलें,
आओ समय के साथ,
 नये रास्ते चलें ।1।

खुदगर्ज सारी दुनिया,
 यह बात मान कर,
 जो नहीं तुम्हारे ,
उनके वास्ते चलें।2।

दम्भ-द्वेष,छल-कपट ,
का बोझ सब लिए,
जा रहे हैं प्यार ,
उनमें बॉटते चलें।3।

बह चली है जो समय ,
की धार देख लो,
मान बस तिरंगे का,
 हम बॉचते चलें।4।

मातृभूमि के लिए ही,
 जन्म यह मिला,
दुश्मनों की चौकियॉ,
हम लॉघते चलें।5।

रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित,सर्वाधिकार सुरक्षित है।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी'हरीश',
रायबरेली (उप्र) 229010
9415955693

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2 Comments

Mahendra Bhatt

31-Mar-2023 10:38 AM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Renu

30-Mar-2023 09:12 PM

👍👍💐

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